Prakritik Chikitsa and Prakritik Chikitsa ke Siddhant (Hindi)
वर्तमान में एक नई आशा की लहर प्राकृतिक चिकित्सा (Prakritik Chikitsa)
हम सभी को पता है कि हम बीमार क्यों होते हैं प्रकृति के नियमों का उल्लंघन करके एवं अप्राकृतिक जीवन से जिससे शरीर में टॉक्सिंस एकत्रित होने लगते हैं और कई रोगों को जन्म देते हैं । उसी प्रकार स्वास्थ्य लाभ का भी एक ही तरीका है, प्रकृति के नियमों का पालन कर शरीर में एकत्रित टॉक्सिंस को बाहर निकालना । अप्राकृतिक जीवन से मुक्त करने की एक ही कला है प्राकृतिक जीवन जीना ।
हमारे पूर्वजों एवं ऋषियो को प्राकृतिक जीवन का भली-भांति ज्ञान था । जिससे उन्होंने एक लंबी आयु को प्राप्त किया । और आगे भी कई पीढ़ियों तक इस कला को पहुंचाया । किंतु वर्तमान स्थिति को देखकर लगता है कि हम इस प्राकृतिक कला को भूल गए हैं जैसे चिकनी मिट्टी से नहाना, शरीर पर ऋतु के अनुसार अभ्यंग करना , तालाब में नहाना, सूर्य स्नान लेना एवं सात्विक भोजन करना यह कई प्राकृतिक क्रियाएं हम भूल गए हैं या अपना नहीं रहे! जिससे हम बीमारियों से घिरे रहते हैं।
क्या आपने सोचा है कि हम प्रकृति के पास जाकर हम आनंद क्यों अनुभव करते हैं? ऐसा इसलिए क्योंकि हमारा शरीर भी प्रकृति के पंचमहाभूतों आकाश, वायु, अग्नि , जल एवं पृथ्वी से बना है जो कि हमें समान गुण के कारण अपनी ओर आकर्षित करता है। ये पंचमहाभूत हमारे शरीर के आधार है जिनमें असंतुलन आने से व्यक्ति रोगी हो जाता है। इस असंतुलन को संतुलित करना ही प्राकृतिक चिकित्सा है।
आखिर क्या है प्राकृतिक चिकित्सा (Prakritik Chikitsa)
आज हम कई चिकित्सा पद्धतियों से परिचित है जोकि अपने अपने सिद्धांत पर काम करती है। किंतु प्राकृतिक चिकित्सा एक ऐसी पद्धति है जोकि हमें अपने वास्तविक स्वरूप में लेकर आती है अर्थात जीवन जीने की कला है ।
प्राकृतिक चिकित्सा (Prakritik Chikitsa) में आया हुआ रोगी एक जीवन जीने की कला को सीखता है एवं स्वयं अपना चिकित्सक बनकर अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य की भी रक्षा करता है। आज हम विभिन्न प्रकार के काम मशीनों से करते हैं एवं अनियमित दिनचर्या जीते हैं। जो कि हमारे शरीर के तंत्र को भी अनियमित कर देता है। इससे हम अपने शरीर के ईंधन (भोजन) , सफाई (मल निष्कासन) , तथा परिचालन (कार्य एवं विश्राम में सामंजस्य) को संतुलित नहीं कर पाते और स्वाभाविक स्वास्थ्य की दशा से हट जाते हैं।
प्राकृतिक चिकित्सा इस शरीर रूपी यंत्र को स्वाभाविक स्वस्थ अवस्था में लाने व बनाए रखने के लिए मनुष्य को सहयोग करती है। यह रोग की जड़ उखाड़ने एवं स्वास्थ्य की जड़ को सींचने के लिए सरल, सहज और अचूक कला है। आइए हम प्राकृतिक चिकित्सा के कुछ सिद्धांतों के बारे में जानते हैं –
1. सभी रोग एक हैं उनके कारण तथा चिकित्सा भी एक ही है
शरीर में विजातीय द्रव्य का संचय ही रोग का कारण माना जाता है यह शरीर के जिस हिस्से में जमा होता है वही रोग बन जाता है। और इसे निकालने की क्रिया ही चिकित्सा है। जिनकी जीवनी शक्ति अधिक होती है वह विजातीय द्रव्य को समय-समय पर शरीर से बाहर निकालती रहती है एवं जीवनी शक्ति के कमजोर होने पर यह विजातीय द्रव्य रोग का आकार ले लेता है।
2. रोग का कारण कीटाणु नहीं
प्राकृतिक चिकित्सा (Prakritik Chikitsa) प्रणाली कीटाणुओं के अस्तित्व को अस्वीकार नहीं करती पर इसका कहना यह है कि यह रोग के उत्पत्ति के कारण नहीं होते जिसके लिए उनको बदनाम किया जाए।
3. तीव्र रोग शत्रु नहीं हमारे मित्र होते हैं
रोग का लक्षण यह दिखाता है कि हमारे शरीर में विजातीय द्रव्य की मात्रा बढ़ गई है। अर्थात शरीर में सफाई की आवश्यकता है जैसे- उल्टी, दस्त, बुखार, सर्दी जुखाम के लक्षण दिखने पर प्रकृति की सहायता से उपवास एवं जल उपचार से शरीर की गंदगी को साफ कर इन लक्षणों को दूर किया जाता है।
4. प्रकृति स्वयं चिकित्सक है
यदि शरीर में विजातीय द्रव्य इकट्ठा हो जाए तो प्रकृति इसे सर्दी, जुखाम एवं अतिसार के माध्यम से शरीर से बाहर करने की कोशिश करता है । यदि प्रकृति की आवाज सुनकर भोजन बंद कर दिया जाए तो यह निष्कासन क्रिया स्वभाविक रूप से होती है एवं प्रत्येक घंटे में पानी पीते रहना चाहिए।
5. चिकित्सा रोग की नहीं बल्कि रोगी के पूरे शरीर की होती है
शरीर को एक इकाई मानकर पूरे शरीर के मल निष्कासित अंगों को सक्रिय किया जाता है जैसे- आंतों से मल, मूत्र मार्ग से मूत्र, त्वचा से पसीना एवं फेफड़ों से स्वास के द्वारा टॉक्सिंस को बाहर किया जाता है। इसके साथ रोगी को उचित चिकित्सा देखकर रोग के प्रभाव को कम किया जाता है।
6. प्राकृतिक चिकित्सा में रोग निदान की विशेष आवश्यकता नहीं होती
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्राकृतिक चिकित्सा (Prakritik Chikitsa) सभी रोगों का कारण शरीर में एकत्रित टॉक्सिंस को मानती है जिसे शरीर से मुक्त करने पर रोगी बिना निदान के स्वस्थ हो जाता है।
7. प्राकृतिक चिकित्सा में दबे हुए रोग उभरते हैं
अतः कुछ रोग ऐसे होते हैं जिनके प्रारंभ के लक्षणों को दवाइयों से दबा दिया जाता है जैसे- लंबे समय तक बनी रहने वाली सर्दी जुखाम को दबाने से वह ब्रोंकाइटिस एवं अस्थमा जैसी बीमारियों में परिवर्तित हो जाता है अतः चिकित्सा करने पर यह रोग उभरते हैं जिनसे घबराना नहीं चाहिए।
8. प्राकृतिक चिकित्सा में उत्तेजक औषधियों का कोई स्थान नहीं
प्राकृतिक चिकित्सा मे किसी भी प्रकार की औषधियों का प्रयोग नहीं किया जाता। इसमें केवल शरीर की शुद्धि क्रिया एवं उचित आहार-विहार द्वारा रोगी के रोग को दूर किया जाता है।
प्राकृतिक चिकित्सा एक सरल पद्धति है आइए जानते हैं-
यह चिकित्सा जितनी सरल है उतनी ही सात्विक और स्वास्थ्यवर्धक भी। कुछ लोग इसको मात्र वजन घटाने की चिकित्सा मानते हैं। किंतु यह वजन घटाने के साथ-साथ शरीर को संतुलित करता है एवं शरीर को विकार रहित कर सच्चा स्वास्थ्य देता है। यह चिकित्सा जितनी सीधी है, उतनी ही प्रभावी भी है। इसमें न केवल शरीर की रोग बाहर निकलते हैं, बल्कि शरीर भी बनता है एवं स्वास्थ्य संवर्धन होता है।
इसमें धैर्य एवं संयम अवश्य होना चाहिए। यदि चिकित्सक एवं रोगी दोनों पूर्ण इच्छाशक्ति के साथ इसको अपनाते हैं तो इस चिकित्सा से निश्चित ही संपूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त हो सकता है। वर्तमान में विषैली औषधियों को छोड़कर यदि हम इस जीवन जीने की कला को सीख लेते हैं तो एक निरामय जीवन जी सकते हैं। शरीर का मन दोनों का स्वास्थ्य इस चिकित्सा द्वारा मिल सकता है।
प्राकृतिक चिकित्सा (Prakritik Chikitsa) की कुछ विशेषताएं-
प्राकृतिक चिकित्सा (Prakritik Chikitsa) अन्य पद्धतियों से भिन्न है। यह रोगों को को दबाती नहीं है, बल्कि दबे हुए रोगों को उपवास, रसाहार द्वारा शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है यह पूरे शरीर का ही कायाकल्प कर देती है।
यह चिकित्सा संयम पर आधारित है खानपान, रहन सहन, श्रम विश्राम, व्यायाम अर्थात क्षेत्र में संयम पूर्वक रहना इस चिकित्सा का उद्देश्य है।
यह चिकित्सा सिखाती है कि “खाना जीवन के लिए खाएं, न की खाने के लिए जिएं।।”
बीमारी अपने आप कभी नहीं आती और ना ही अचानक उत्पन्न होती है। स्वास्थ्य के नियमों का उल्लंघन करने से ही रोग पैदा होते हैं जोकि प्रकृति द्वारा दी हुई सजा है – रोग ।
शरीर की रक्षा करना हमारे जीवन का सर्वोपरि कर्तव्य है । शरीर के अभाव में कोई भी क्रिया नहीं हो सकती है। स्वास्थ्य को बनाए रखना हमारा धर्म है।
“जान है तो जहान है”।
अतः स्वास्थ्य के प्राकृतिक नियमों को अपनाकर प्रकृति के साथ तालमेल रखकर शुद्ध वायु, धूप सेवन, सकारात्मक विचार एवं सही आहार विहार रखकर हम एक दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन जो आनंद युक्त हो प्राप्त कर सकते हैं।
Be Happy, Be Healthy, Be Alive
Very well described 👏👏.
Thanks Harsh Ji
बहुत ही सुंदर सारगर्भित प्रकृति ही सब रोगों की चिकित्सा है आपके सुन्दर दृष्टिकोण के लिये साधुवाद की पात्र है आप ।
इसी प्रकार आप कार्य करते रहें ।
Thanks Sir, Bilkul sahi kaha aapne “सारगर्भित प्रकृति ही सब रोगों की चिकित्सा है”
बहुत सुंदर
In very shortly and smoothly you are creating awareness of yoga and naturopathy medical sciences,
You create a pathway to make easy to introduce to the Yoga and Naturopathy for any person that don’t know about it. It’s like a miracle for unhealthy person who is suffering from many complicated diseases.
Thanks Devansu!
Very good article which explains us about how our body is the ultimate machine God has created and we should respect it’s creation and follow the natural.ways to keep it fit and healthy
प्राकृतिक चिकित्सा हमें रोगो से ही मुक्त नहीं करती बल्कि हमें जीवन जीने की एक शैली भी सिखाती है प्राकृतिक चिकित्सा उतनी ही पुरानी है जितनी प्रकृति और उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी हमारे लिए प्रकृति महत्वपूर्ण है
Bilkul shi kha aapne
आज के परिवेश में प्राकृतिक चिकित्सा मानव जाति के लिए वरदान साबित हो सकती है।
#Nature is self doctor
True!!
प्रकृति जितनी सीधी व सरल है वैसी ही सीधी व सरल भाषा में प्राकृतिक चिकित्सा व उसके सिद्धांतो का उल्लेख आपने किया है……. भविष्य में भी समय समय पर ऐसे ही ज्ञानवर्धक लेख लिखते रहे, ताकि आपके अनुभव व ज्ञान का लाभ अन्य प्राकृतिक चिकित्सक व आम आदमी भी ले सकें। वास्तव में आप साधुवाद की पात्र हैं ।
धन्यवाद ।
Thanks for your kind words.
Nice Article 👌 very informative and nicely explained 👏
Thank You!!
Very informative and useful article about natural therapy. I have also been taken a lot of relief and benefits from it. Good Job👍
बहुत ही सही और वैज्ञानिक जानकारी जो सभी के लिए उपयोगी और लाभदायक है।
Very true and scientific information, helpful and beneficial for all.
Yes Right, Thanks!!
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Thanks Deepika, you are on the right way.
Nice article, This information is very useful…Thank u so much to sharing this information with us…
Thanks for your words
The meaningful summary of the principle of Naturopathy is written in very few words, you should keep working on this type Naturopathy.
Thanks Manisha, I tried my best to keep it short, but really its a huge topic, and if one have interest in this it takes time to understand.
Thank you for sharing very useful information. It’s truly worthy
Thanks Nisarg!
प्राकृतिक चिकित्सा न केवल उपचार की पद्धति है, अपितु यह एक जीवन पद्धति है। इसे बहुधा ‘औषधिविहीन उपचार पद्धति’ कहा जाता है। यह मुख्य रूप से प्रकृति के सामान्य नियमों के पालन पर आधारित है आज कोविड 19 (कोरोना)की परिस्थिति को देखते हुए हमें इसे अपनाने पर ही समाज का भला होगा आप इस दिशा में कार्य कर समाज की भलाई कर रही है इसलिए आपको धन्यवाद ।
Thank you so much sir for your words.
प्राकृतिक चिकित्सा न केवल उपचार की पद्धति है, अपितु यह एक जीवन पद्धति है। इसे बहुधा ‘औषधिविहीन उपचार पद्धति’ कहा जाता है। यह मुख्य रूप से प्रकृति के सामान्य नियमों के पालन पर आधारित है आज कोविड 19 (कोरोना)की परिस्थिति को देखते हुए हमें इसे अपनाने पर ही समाज का भला होगा आप इस दिशा में कार्य कर समाज की भलाई कर रही है इसलिए आपको धन्यवाद ।
Great work boss….true!!!!
Thank You!!
अति सुन्दर
Thanks!!
Very good article and nicely explained 👍👏
Thanks!!
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Ji bilkul sach h ye baat
Awesome Artical and nicellllllyyyy explained about naturopathy😘😘😘🌴🌸🌹🌷
Thank You!!
आज कि जीवन शैली के लिए प्राकृतिक उपचार अति उत्तम हे 👍👍👍👍
Ji Bilkul, Thanks
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Great article nd useful everyone 👌👌👌👍
Thanks!!
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This is the best way to treat every thing without any harm…People will alert with this simplicity way…This will be a great work and cure to our body with yoga and naturopathy…March on…👏👏👏…
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Madam ji😊😊
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